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बुधवार, 9 जनवरी 2013

नई दिल्ली। पिछले नौ वर्षो से रेल किराए में बढ़ोतरी न होने बाद अब आप अगले साल मार्च से बढ़े किराये पर रेल सफर करने के लिए तैयार हो जाइए। केंद्र सरकार ने इसके लिए समयसीमा तय करते हुए स्वतंत्र टैरिफ नियामक बनाने सहित कई अहम कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने गुरुवार को रेलवे में कई वर्षो से उपेक्षित सुधार की प्रक्रिया को तेज करने के लिए हरी झंडी दिखा दी है। प्रधानमंत्री कार्यालय [पीएमओ] ने किराया तय करने के लिए स्वतंत्र टैरिफ नियामक बनाने के साथ कई वर्षो से लटके प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने के लिए एक निश्चित समयसीमा निर्धारित कर दी है।
प्रधानमंत्री ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रालयी समूह [आइएमजी] से 31 दिसंबर तक टैरिफ नियामक के प्रस्ताव को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया है। लोगों के दवाब में पिछले नौ वर्षो से रेल किराया न बढ़ाए के बाद यह नियामक यात्रा किराये में आवश्यक वृद्धि को लेकर अपनी सलाह देगा। पीएमओ नियामक स्थापित करने के लिए 15 जनवरी 2013 तक कैबिनेट नोट कर देगा।
गौरतलब है कि रेल मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद पवन कुमार बंसल ने रेलवे की माली हालत को देखते हुए यात्री किराए में बढ़ोतरी को आवश्यक बताया था। प्रस्ताव में डीजल और बिजली की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए भी किराया बढ़ाए जाने की सिफारिश की गई थी।
रेल में सुरक्षा और आधुनिकीकरण के प्रयासों को मूर्त रूप देने के लिए फंड की काफी कमी है। ऐसे में सरकार के पास किराया बढ़ाने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचा था।
गठबंधन की राजनीति के कारण कई वर्षो तक रेल मंत्रालय क्षेत्रीय दलों के पास होने के कारण 2002-03 के बाद से यात्रा किराए में वृद्धि नहीं की थी जिसके कारण रेलवे को सालाना 24 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
पीएमओ ने इसके साथ ही लंबे समय से अधूरा पड़े कई प्रोजेक्टों को पीपीपी [पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप] के आधार पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इसमें मधेपुरा-मरहोरा लोको फैक्टरी और मुंबई रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट शामिल

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