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बुधवार, 3 मार्च 2010

अमिताभ की गुलाम तीन पत्ती नवभारत टाइम्स 26 February 2010, 05:01am IST
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तीन पत्ती कलाकार : अमिताभ बच्चन , सर बेन किंग्सले , आर माधवन , शरद कपूर निर्माता : अंबिका हिंदूजा डायरेक्टर : लीना यादव संगीत : सलीम सुलेमान सेंसर सर्टिफिकेट : यू / ए अवधि : 209 मिनट हमारी रेटिंग :
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इस फिल्म की डायरेक्टर लीना यादव का नाम करीब पांच साल पहले आई फिल्म ' शब्द ' के साथ जुड़ा है। संजय दत्त और ऐश्वर्या रॉय जैसे नामी स्टार्स को लेकर लीना ने करीब पांच साल पहले भी एक नया प्रयोग किया था , लेकिन उस वक्त दर्शकों ने इसे स्वीकारा नहीं। हां , इस बार मामला कुछ बदला हुआ है , बेशक लीना ने फिर बिकाऊ स्टार कास्ट का सहारा लिया है लेकिन कहानी में कुछ नयापन भी पेश करने की कोशिश की है। दरअसल , बॉलिवुड में जुए को बेस बनाकर ढाई घंटे की फीचर फिल्म बनाने का ट्रेंड अभी पनप नहीं पाया है। हॉलिवुड में यही ट्रेंड बरसों से चल रहा है और पसंद किया जाता है । वहीं हमारे यहां बी , सी सेंटरों के अलावा छोटे शहरों के सिनेमाघरों में ऐसी फिल्म चलने के चांस कम होते है। कहानी : इस फिल्म की कहानी का प्लॉट दो साल पहले आई हॉलिवुड फिल्म 21 के काफी करीब है। जाने - माने मैथमेटिशन वेकंट सुब्रह्माण्यम ( अमिताभ बच्चन ) को शिकवा है कि उनकी इस आर्ट की कोई कद नहीं है। वेकंट ने जब भी अपनी गणित से जुड़ी कोई रिसर्च आला अधिकारियों को भेजी , हर बार उसे निराशा हाथ लगी। लेकिन वेकंट तीन पत्ती के खेल में खुद को परफेक्ट पाता है , हर बाजी को जीतने की आर्ट उसमें है। वेकंट के साथ कॉलेज का प्रोफेसर शांतनु बिश्वास ( आर माधवन ) और कॉलेज के कुछ ऐसे स्टूडेंट शामिल हैं जिन्हें रातोंरात पैसा बनाना है। भले ही वे सब पहली गेम में करोड़पति बन जाते हैं , लेकिन इसके बाद इनकी जिंदगी में भूचाल आ जाता है। स्क्रिप्ट : फिल्म की स्क्रिप्ट में कोई नयापन नहीं है। अच्छा होता कि लीना मुंबई और छोटे शहरों के बीच तेजी से पनपते जुए के अड्डों पर कोई ऐसी फिल्म बनाती जिसमें समाज के लिए कोई संदेश होता। वैसे , कहानी के आखिर में जुए को बुरा और इंसान को बर्बाद करने वाला गेम साबित करने की कोशिश की गई है , लेकिन डायरेक्टर का यह मेसेज आम दर्शक की समझ में इसलिए नहीं आ सकता कि क्योंकि सर बेन किंग्सले और बिग बी के बीच के सभी संवाद अंग्रेजी में हैं। एक्टिंग : इस फिल्म में बॉलिवुड और हॉलिवुड की दो ग्रेट हस्तियां है , लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि डायरेक्टर ने इनसे बेहतर काम लिया। बिग बी इससे पहले भी कई बार ऐसे लुक और रोल में नजर आए तो बाकी किसी कलाकार के हिस्से में ऐसा बड़ा रोल नहीं था जो कुछ कर पाता। हां , आर माधवन ने स्टार्स की लंबी चौड़ी भीड़ के बीच अपनी मौजूदगी का एहसास कराया है। शक्ति कपूर की बेटी श्रृद्धा कपूर ने इस फिल्म के साथ करियर की शुरुआत की लेकिन फिल्म में उसके करने के लिए कुछ था ही नहीं जो वह अपनी प्रतिभा दिखा पाती। संगीत : सलीम सुलेमान के संगीत में नयापन या मैलोडी नहीं है जो सुनने में अच्छी लगे। थोड़ा थोड़ा शबाब है , तेरी नीयत खराब है का फिल्मांकन अच्छा बन पड़ा है। डायरेक्शन : शब्द के करीब पांच साल बाद निर्देशन में लौटी लीना ने एकबार फिर निराश किया। सेक्सी दृश्यों और बेवजह के एक्शन सीन कहानी में फिट करने के चलते स्क्रिप्ट से भटक गईं। क्यों देखें : अगर तीन पत्ती के शौकीन हैं और किसी हारी हुई बाजी को जीतने की जुगाड़ में लगे हैं तो यह फिल्म आपके लिए हो सकती है। चंद्र मोहन शर्मा

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