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रविवार, 11 अप्रैल 2010

श्री लालकृष्ण आडवाणी

श्री लालकृष्ण आडवाणी इस समय लोक सभा में प्रतिपक्ष के नेता हैं, और सन् 2009 में होने वाले आम चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एन.डी.ए.) की ओर से प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी हैं।
आडवाणीजी 1980 में भारतीय जनता पार्टी के जन्म से लेकर लम्बी अवधि तक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे। आडवाणी जी, श्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में (वर्ष 1999 से 2004 तक) पहले गृहमंत्री तथा बाद में उप प्रधानमंत्री के पद पर रहे।
आडवाणीजी को गहन बौद्विक क्षमता, पक्के सिद्वांतों वाले व्यक्ति, तथा सशक्त एवं समृध्द भारत की भावना के अटल समर्थक के रुप में पहचाना जाता है। जैसाकि अटलजी ने स्वीकार किया है, आडवाणीजी ने राष्ट्रवाद के प्रति अपने अटूट विश्वास से ''कभी भी समझौता नहीं किया, और जब कभी समय की मांग हुई, उन्होंने राजनीतिक जिम्मेदारियों में लचीलापन भी दिखाया है।''
आडवाणीजी का जन्म 8 नवम्बर, 1927 को विभाजन पूर्व सिंध में हुआ था, और वहीं पर उनका पालन-पोषण हुआ। जब वे सेंट पैट्रिक स्कूल में पढ़ रहे थे, उनके देश भक्ति विचारों ने उन्हें केवल 14 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आर.एस.एस.) से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। तभी से उन्होंने राष्ट्र की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित किया हुआ है।
आडवाणीजी के लिए सन् 1947 में अंग्रेजों से भारत को मिली आजादी के जश्न का आनन्द क्षणिक था क्योंकि लाखों लोगों के साथ उन्हें भी भारत के विभाजन की त्रासदी के आंतक और खून-खराबे के बीच अपने जन्म-स्थान को छोड़ना पड़ा था। हालांकि इन घटनाओं से उनके स्वभाव में न तो कटुता आई, और न ही आलोचना के भाव पैदा हुए। बल्कि एक पंथनिरपेक्ष भारत के निर्माण हेतु उनकी अभिलाषा पुष्ट हुई। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर वे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रचारक के रुप में अपना कार्य जारी रखने के लिए राजस्थान पहुंचे।
1980 के दशक के उत्तरवर्ती वर्षों से लेकर 1990 के दशक तक आडवाणीजी ने भारतीय जनता पार्टी को एक राष्ट्रीय राजनीतिक शक्ति के रुप में बनाने के एकमात्र लक्ष्य पर अपना ध्यान केंद्रित किया। उनके प्रयासों के परिणाम 1989 के आम चुनाव में देखने को मिले। भारतीय जनता पार्टी को 1984 के आम चुनाव में केवल दो सीटें मिली थी जो 1989 में प्रभावशाली ढंग से बढ़कर 86 हो गई। वर्ष 1992 में 121 सीटें और 1996 में में 161 सीटें जीतकर पार्टी की स्थिति और मजबूत हो गई। वर्ष 1996 के चुनावों से भारतीय लोकतंत्र में एक लहर सी पैदा हो गई। स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद पहली बार कांग्रेस को ऊपर से नीचे पंहुचा दिया गया।
आडवाणी जी सुदृढ़ परिवारिक परंपराओं और सम्बन्धों को मानने वाले एक भावुक व्यक्ति हैं। आडवाणीजी ने कहा कि प्रकृति हम सभी के समक्ष सुख और सार्थकता का विकल्प रखते हुए आग्रह करती है कि हम उनमें से किसी एक को चुन लें। लेकिन मुझे उन दोनों का ही बहुतायत से अनुभव करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
आज आडवाणीजी भारत की जनता से ऐसे नेता का चयन करने में सही विकल्प अपनाने के लिए कहते हैं, जिसने भारत के अतीत की गलतियों को अनुभव किया हो और जो ऐसी दूर-दृष्टि रखता हो कि भारत अपने उज्ज्वल भविष्य के साथ संगठित और सुदृढ़ बने तथा विश्व समुदाय में अपनी प्रतिष्ठा कायम करे।

आडवाणीजी : काल-क्रम
8 नवम्बर, 1927 - श्री लालकृष्ण आडवाणी का जन्म कराची, वर्तमान पाकिस्तान में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री किशनचंद तथा माता का नाम श्रीमती ज्ञानी देवी आडवाणी है।
1936-1942 - उन्होंने कराची के सेंट पेट्रिक्स स्कूल में शिक्षा प्राप्त की और दसवीं तक प्रत्येक कक्षा में प्रथम आए।
1942 - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में एक स्वयंसेवक के रूप में शामिल हुए।
1942 - भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान दयाराम गिडुमल नेशनल कॉलेज, हैदराबाद में प्रवेश लिया।
1944 - मॉडल हाई स्कूल, कराची में अध्यापक के रूप में नौकरी की।
12 सितम्बर, 1947 - देश के विभाजन के दौरान सिंध छोड़कर प्रोपेलर एयरक्राफ्ट से दिल्ली पहुंचे।
1947-1951 - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कराची शाखा में कार्य किया। उसके बाद उन्होंने अलवर, भरतपुर, कोटा, बूंदी और झालावाड़ में संघ के प्रचारक के रूप में कार्य किया।
1957 के शुरू में-श्री अटल बिहारी वाजपेयी की मदद करने के लिए दिल्ली आए।
1958-63 - दिल्ली राज्य जनसंघ के मंत्री का दायित्व संभाला।
1960-1967 - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक राजनीतिक पत्रिका ''ऑर्गेनाइजर'' में सहायक संपादक का पद संभाला।.
25 फरवरी 1965 - उन्होंने श्रीमती कमला आडवाणी जी से विवाह किया। इनके दो बच्चे-प्रतिभा और जयंत हैं।
अप्रैल 1970 - राज्यसभा में प्रवेश।
दिसम्बर 1972 - भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष चुने गए।
26 जून, 1975 - आपातकाल (इमरजेंसी) के दौरान गिरफ्तार किए गए और उन्हें भारतीय जनसंघ के दूसरे सदस्यों के साथ बंगलौर सेन्ट्रल जेल भेज दिया गया।
मार्च 1977 से जुलाई 1979 - केन्द्रीय सूचना तथा प्रसारण मंत्री का पद संभाला।
1980-86 - भारतीय जनता पार्टी के महासचिव का दायित्व संभाला।
मई 1986 - भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बनाए गए।
3 मार्च 1988 - उन्हें भारतीय जनता पार्टी का फिर से अध्यक्ष चुना गया।
1988 - भारतीय जनता पार्टी की सरकार में गृहमंत्री का पद संभाला।
1990 - उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथ यात्रा शुरू की।
1997 - भारत की स्वतंत्रता की स्वर्ण-जयंती मनाने के लिए स्वर्ण-जंयती रथ यात्रा आरम्भ की।
13 अक्टूबर 1999 - 13 मई 2004 उप-प्रधानमंत्री का पद संभाला।
श्री लालकृष्ण आडवाणी इस समय लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता हैं और 2009 के आम चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी तथा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए प्रत्याशी हैं।

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