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गुरुवार, 4 मार्च 2010

नजरें स्वर्ण पदक पर



नई दिल्ली। बीजिंग ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता ने कहा कि विश्व रैंकिंग में मिडिलवेट [75 किग्रा] वर्ग के नंबर एक मुक्केबाज होने से दस मार्च से होने वाली राष्ट्रमंडल मुक्केबाजी चैंपियनशिप में उन पर कोई अतिरिक्त कोई दबाव नहीं होगा और उनकी नजरें स्वर्ण पदक पर ही टिकी है।
पटियाला में लगे शिविर में तैयारियों में जुटे विजेंदर हालांकि मानते हैं कि इंग्लैंड, कनाडा जैसे देशों के मुक्केबाज अच्छी चुनौती पेश करेंगे, लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि घरेलू दर्शकों से मुक्केबाजों को फायदा मिलेगा। वह हालांकि विश्व रैंकिंग में नंबर एक स्थान से खुद पर पदक जीतने का दबाव महसूस नहीं कर रहे हैं और वह मानते हैं कि मुक्केबाजी में प्रतिद्वंद्वी की ताकत को कभी भी कमतर नहीं आंकना चाहिए। विजेंदर ने कहा, 'नंबर एक मुक्केबाज होने से चैंपियनशिप में कोई दबाव नहीं होगा। भारत में कई साल बाद मुक्केबाजी चैंपियनशिप का आयोजन हो रहा है और घरेलू दर्शकों से सभी भारतीय मुक्केबाजों का उत्साहवर्धन होगा।'
पदक की संभावनाओं के बारे में विजेंदर ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि मैं दर्शकों और अपने देशवासियों की उम्मीदों पर खरा उतरकर स्वर्ण पदक हासिल करूंगा।' चैंपियनशिप में 18 देशों के मुक्केबाजों से मिलने वाली चुनौती के बारे में उन्होंने कहा, 'अपने प्रतिद्वंद्वी को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए, वरना अति आत्मविश्वास खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए मैं एक-एक बाउट पर अपना ध्यान लगाऊंगा।' उन्होंने और अन्य मुक्केबाजों ने तालकटोरा स्टेडियम में चैंपियनशिप के शुरू होने से पहले अभ्यास करने की इच्छा जताई थी और कहा था कि इससे उन्हें थोड़ा फायदा मिलेगा। लेकिन अब मुक्केबाजी दल रविवार तक दिल्ली पहुंचेगा।
हाल में चोट से उबरने वाले भिवानी के इस मुक्केबाज ने कहा, 'अगर हमें स्टेडियम पहले मिल गया होता तो बेहतर होता। हम स्टेडियम में रिंग पर थोड़ा अभ्यास कर लेते तो हमें रिंग का अहसास हो जाता। लेकिन हमारा मुख्य लक्ष्य राष्ट्रमंडल खेल हैं और उससे पहले यह चैंपियनशिप हमें एक बेहतरीन मंच प्रदान करेगी।' विजेंदर ने भारत के 10 सदस्यीय दल से पदक की उम्मीदों के बारे में पूछे जाने पर कहा, 'हम सभी यहां अच्छा अभ्यास कर रहे हैं और सभी की तैयारियां काफी अच्छी है। पदक के बारे में कहना मुश्किल होता है क्योंकि बाउट किस दिशा में चली जाए, कुछ भी नहीं कहा जा सकता।'

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