दीदी ने छुड़ाया दादा ने फिर लगाया सेवाकर
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : जुलाई में आया पिछला बजट याद है आपको.. दादा ने किस तरह रेल माल ढुलाई पर सेवाकर लगाया था जो बाद में ममता दीदी की आरजू मिन्नत पर हट गया था। दादा ने इस बजट में फिर माल भाड़े पर (जरुरी सामान की ढुलाई को अलग करते हुए) सेवाकर लगा दिया है। सिर्फ यही नहीं बजट ने आईपीएल के आयोजकों के हिसाब किताब का खेल बिगाड़ने का इंतजाम भी है। इस बजट से यह भी तय है कि अचल संपत्ति को किराया देना करयोग्य सेवा है यानी घर लीजिए या दीजिए, सेवाकर जरूर दीजिए। इस बजट में भी वित्त मंत्री का मास्टर स्ट्रोक सेवाकर ही है। सेवाकर से मौजूदा साल में 68,000 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है। कर के दायरे में आई सेवाएं तो वित्त मंत्री की मुश्किलें बाद में हल करेंगी, अभी सेवाकर के दायरे में विस्तार से ही काफी काम हो जाएगा। प्रणब बाबू ने एक बार फिर रेलवे से माल ढुलाई पर सेवाकर लगा दिया है। यह पिछले साल के बजट में भी लगा था, लेकिन बाद में रेल मंत्रालय के विरोध पर इसे वापस ले लिया गया। बस ममता दीदी यहीं चूक गई। उन्हें लगा कि इसकी वापसी नहीं होगी। नए वित्त विधेयक के जरिये रेलवे से माल ढुलाई पर सेवाकर वापस हो गया। पिछली बार की तुलना में फर्क सिर्फ इतना है कि अनाज केरोसिन व दूध आदि की ढुलाई सेवाकर से मुक्त रहेगी। वक्त बताएगा कि यह कर रहेगा या वापस होगा, लेकिन संकेत हैं कि इस बार दादा अपनी पर अड़ सकते हैं और देश का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्टर वित्त मंत्रालय का बड़ा करदाता हो सकता है। अचल संपत्ति किराये पर सेवाकर की कहानी बड़ी दिलचस्प है। किराये की परिभाषा और सेवाकर नियमों के तहत इसकी स्थिति आदि को लेकर राजस्व विभाग हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक झगड़े में उलझा रहा, लेकिन अंतत: वित्त मंत्रालय ने मास्टर स्ट्रोक चल दिया। वित्त विधेयक में शामिल प्रावधानों के तहत अचल संपत्ति किराये टैक्सेबल सर्विस मान लिया गया है वह भी पिछली तारीख से। वित्त मंत्री ने जिन आठ नई सेवाओं पर सेवाकर लगाया है उसमें खेल, मनोरंजन, कला और व्यापार आदि के वह आयेाजन भी हैं जिनके वाणिज्यिक अधिकार या प्रायोजन अधिकार बेचे जाते हैं। यह सीधे तौर पर आईपीएल की कमाई से एक हिस्सा सरकारी खजाने में पहुंचाएगा। सिर्फ यही सेवाकर का दायरा बढ़ाने के दांव बड़े जोरदार हैं। अब हर तरह की सॉफ्टवेयर सेवाओं पर सेवाकर लगेगा।
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