जय ललिता जयरामजी दक्षिण का एक राजनैतिक सूरज
आज जिन्दगी और मौत के बीच उलझा हुआ खेल खेलती जय् ललिता अपने समर्थको के लिए अम्मा हैं ।
जयललिता जयराम जी का जन्म 24 फरवरी 1948, मैसूर, में हुआ । ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के बाद जय ललिता ने बहुत कम आयु में फिल्मो मेवं अभिनय किया ।वर्तमान में वो ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) की महासचिव तथा तमिलनाडु राज्य की ब्राह्मण महिला मुख्यमंत्री हैं। वे उन कुछ ख़ास भूतपूर्व प्रतिष्ठित सुपरस्टार्स में से हैं जिन्होंने न सिर्फ सिनेमा के क्षेत्र में प्रतिष्ठा अर्जित किया बल्कि तमिलनाडु की राजनीति में भी महत्वपूर्ण रहे हैं। राजनीति में प्रवेश से पहले वे एक लोकप्रिय अभिनेत्री थीं और उन्होंने तमिल, तेलुगू, कन्नड़ फिल्मों के साथ-साथ एक हिंदी और एक अंग्रेजी फिल्म में भी काम किया है।
सन 1989 में तमिल नाडु विधानसभा में विपक्ष की नेता बनने वाली वे प्रथम महिला थीं। वर्तमान समय में तमिलनाडु की मौजूदा राजनीती में जयललिता का ठोस नियंत्रण है। सन 1991 में वे पहली बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं। सन 2011 में जनता ने तीसरी बार जयललिता को तमिलनाडु का मुख्यमंत्री चुना। उन्होंने राज्य में कई कल्याणकारी परियोजनाए शुरू की। अपने शुरूआती कार्यकाल में जयललिता ने जल संग्रहण परियोजना और औद्योगिक क्षेत्र के विकास की योजनाओं जैसे विकास के कार्य किए।
राज्यपाल जी का जयललिता जी के बारे में वो संस्मरण :-
राज्यपाल भीष्म नारायण सिंह अपनी यादो के झरोखों में झांकते हुए बताते हैं, "जयललिताजी जब शपथ लेने के बाद मुझसे मिलने आईं तो मुझे पता चल चुका था कि वो गाजर का हलवा पसंद करती हैं. इसलिए मैंने उनके लिए गाजर का हलवा बनवाया. मैंने उनसे कहा कि आपका दृष्टिकोण राष्ट्रीय है,इसलिए मैं उम्मीद करता हूँ कि आप कानून और व्यवस्था के मुद्दे पर वही लाइन लेंगीं और एलटीटीई जैसे पृथकतावादी संगठनों को अपनी जड़ें जमाने का मौका नहीं मिलेगा."
"मेरे प्रति उनके मन में इतना सम्मान था कि वो हर हफ़्ते कोशिश करती थीं कि आकर राज्यपाल को ब्रीफ़ करें. भारत के किसी राज्य में एसपी से लेकर मुख्य सचिव की ट्रांसफ़र की फ़ाइल कभी भी राज्यपाल को नहीं भेजी जाती हैं, लेकिन जब तक मैं वहाँ का राज्यपाल रहा, ट्रांसफ़र और पोस्टिंग की फ़ाइल हमेशा मेरे पास आती थी."
जयललिता अब तक चार बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. अपने मज़बूत प्रशासन के लिए जहाँ उन्हें अक्सर वाहवाही मिली है, वहीं उन पर व्यक्ति पूजा और भृष्टाचार के आरोप भी लगे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार एम आर नारायणस्वामी कहते हैं, "काफ़ी अद्भुत करियर रहा है इनका. ध्यान देने वाली बात ये है कि ये ब्राह्मण जाति से आती हैं और इनका जन्म कर्नाटक में हुआ है. उन्होंने जिस तरह से एआईडीएमके पार्टी पर अपना नियंत्रण जमाया, उसे एक बहुत बड़ी उपलब्धि माना जाएगा."
"चाहे हम उन्हें पसंद करें या नापसंद करें. इनके प्रशासन में बहुत कमियाँ रही हैं, लेकिन बहुत उपलब्धियाँ भी रही हैं, जिस तरह उन्होंने सुनामी के दौरान प्रशासन चलाया, लोग उसे आज भी याद करते हैं. ये अलग बात है कि जब पिछले साल चेन्नई में बाढ़ आई थी तो उनका प्रशासन फ़ेल हो गया था."
वो चीर हरण,, जयललिता का जिसके बाद उन्होंने प्रतिज्ञा ली
विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को स्थगित कर दिया. जैसे ही जयललिता सदन से निकलने के लिए तैयार हुईं, डीएमके के एक सदस्य ने उन्हें रोकने की कोशिश की. उसने उनकी साड़ी इस तरह से खींची कि उनका पल्लू गिर गया. जयललिता भी ज़मीन पर गिर गईं.
एआईडीएमके के एक ताकतवर सदस्य ने डीएमके सदस्य की कलाई पर जोर से वार कर जयललिता को उनके चंगुल से छुड़वाया. अपमानित जयललिता ने पांचाली की तरह प्रतिज्ञा ली की कि वे उस सदन में तभी कदम रखेंगी जब वो महिलाओं के लिए सुरक्षित हो जाएगा. दूसरे शब्दों में वे अपने आप से कह रही थीं कि वे अब तमिलनाडु विधानसभा में मुख्यमंत्री के तौर पर ही वापस आएंगी.
संदर्भ: जयललिता की जीवनी 'अम्मा जर्नी फ़्राम मूवी स्टार टु पॉलिटिकल क्वीन'
वो अपमान जब स्व.एमजी आर की शव यात्रा के दौरान हुआ
उस दिन जयललिता की आँखों से एक आँसू नहीं निकला. वो दो दिनों तक एमजीआर के पार्थिव शरीर के सिरहाने खड़ी रहीं...13 घंटे पहले दिन और 8 घंटे दूसरे दिन. एमजीआर की पत्नी जानकी रामचंद्रन की कुछ महिला समर्थकों ने उनके पैरों को अपनी चप्पलों से कुचलने की कोशिश की........
"कुछ ने उनकी त्वचा में नाख़ून गड़ा कर उन्हें चिकोटी काटने की कोशिश की ताकि वो वहाँ से चली जांए. लेकिन जयललिता सारा अपमान सहते हुए वहाँ से टस से मस नहीं हुईं. जब एमजीआर के पार्थिव शरीर को अंतिम यात्रा के लिए गन कैरेज पर ले जाया गया तो जयललिता भी उसके पीछे पीछे दौड़ीं. उस पर खड़े एक सैनिक ने अपने हाथों का सहारा देकर उन्हें ऊपर आने में भी मदद की."
"तभी अचानक जानकी के भतीजे दीपन ने उन पर हमला किया और उन्हें गन कैरेज से नीचे गिरा दिया. जयललिता ने तय किया कि वो एमजीआर की शव यात्रा में आगे नहीं भाग लेंगीं. वो अपनी कंटेसा कार में बैठीं और अपने घर वापस आ गईं."
मुख्य कार्य जिसने जयललिता को एक अलग जगह तमिलनाडू की जनता के बीच दिला दी ।
वो अपने मंत्रियों से मिलना भी पसंद नहीं करती हैं. लोगों में मुफ़्त चीज़े बांटने की नीति ने भी उन्हें बहुत लोकप्रिय बनाया... मुफ़्त ग्राइंडर, मुफ़्त मिक्सी, बीस किलो चावल देने पर अर्थशास्त्रियों ने बहुत नाक भौं सिकोड़ी, लेकिन इसने महिलाओं के जीवनस्तर को उठा दिया... और लोगों के