Powered By Blogger

सोमवार, 8 मार्च 2010

2050 से बहुत पहले पलट देंगे तख्ता


नई दिल्ली देश में अपनी सत्ता जमाने के माओवादियों के खतरनाक मंसूबों पर से केंद्र सरकार के परदा उठाने के ठीक दूसरे दिन नक्सलवादी खेमे ने दो कदम आगे बढ़कर चेतावनी जारी कर दी। माओवादी नेता कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी ने शनिवार देर रात कह दिया कि हम 2050 से बहुत पहले ही भारत में तख्ता पलटकर रख देंगे। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए हमारे पास हमारी अपनी पूरी फौज है। माओवादी नेता ने इस बात से इनकार किया कि पूर्व सैनिकों से उसे कोई मदद मिल रही है। वहीं, गृह सचिव जीके पिल्लई ने कहा है कि माओवादी यह स्वप्न देखते रहें आखिर सपना देखने का अधिकार सभी को है। उन्होंने दोहराया कि बातचीत तो बिना हिंसा छोड़े नहीं हो सकती। इसे गृह सचिव पिल्लई के शुक्रवार के बयान से पैदा हुई उत्तेजना का नतीजा माना जाए या कुछ। यह पहली बार है कि माओवादियों की तरफ से तख्ता पलटने जैसी चेतावनी खुले तौर पर आई है। ज्ञात हो, पिल्लई ने शुक्रवार को कह दिया था कि माओवादी देश में तख्ता पलटने का मंसूबा पाले हुए हैं। जानकारों की माने तो देश को भीतर ही भीतर खोखला कर अपनी गहरी जडे़ जमाने की माओवादियों की सुनियोजित रणनीति को लेकर जो अंदेशा जताया जाता रहा है किशनजी के बयान से उसकी पुष्टि हो जाती है। आंतरिक सुरक्षा विशेषज्ञों ने लगातार आगाह किया है कि बंदूक और बुद्धिजीवियों के सहारे सत्ता स्थापित करने का लक्ष्य माओवादियों के दिमाग में है। यही वजह है कि सूबों की राजनीति में भी उनका गहरा दखल होता जा रहा है। माओवादियों की सियासत में घुसपैठ का पश्चिम बंगाल सबसे ठोस प्रमाण माना जा रहा है। शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने माओवादियों को देश के लिए सबसे गंभीर खतरा करार दिया था। हिंसा छोड़कर माओवादियों को वार्ता के रास्ते चलने का प्रस्ताव दे रहे केंद्र सरकार को यह कड़ा जवाब है जो किशनजी ने दिया है। सूत्रों का मानना है कि बिना शर्त वार्ता के लिए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में भी किशनजी ने ऐसे तेवर दिखाए हैं। यही वजह है कि पिल्लई ने माओवादी नेता को साफ संदेश दे दिया कि बातचीत के लिए जो शर्त रखी गई है उसे माने बिना कुछ नहीं हो सकता। गृह सचिव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा हिंसा छोड़े बगैर वार्ता संभव नहीं है। तख्ता पलटने जैसे स्वप्न देखने का अधिकार उन्हें प्रजातांत्रिक देश में पूरी तरह है लेकिन बातचीत को लेकर हमारा रुख वही है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें